Friday 2 November 2012

आठवणी


आठवणी,
जश्या मला येतात तश्या त्या लोकांना पण येत असतील का ?
असतील अथवा नसतील ..
मग
कधी न विसरणाऱ्या  पण विसरू वाटणाऱ्या आठवणी विसरायच्या कश्या ??..





अश्याच आठवणी ..आठवण करून देणार हे सुरेख गाण ..
फूलों के रंग से, दिल की कलम से, तुज को लिखी रोज पाती
कैसे बताऊ किस किस तरह से, पल पल मुझे तू सताती

तेरे ही सपने लेकर के सोया, तेरे ही यादों में जागा
तेरे ख्यालों में उलझा रहा यूं जैसे के माला में धागा

बादल बिजली चन्दन पानी, जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमे कई कई बार
इतना मदीर, इतना मधुर तेरा मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमे कई कई बार

साँसों की सरगम  धड़कन की बीना, सपनों की गीतांजली तू
मन की गली में महके जो हरदम ऐसी जूही की कली तू
छोटा सफ़र हो, लंबा सफ़र हो, सूनी डगर हो या मेला
याद तू आये, मन हो जाए, भीड़ के बीच अकेला
बादल बिजली चन्दन पानी, जैसा अपना प्यार.. ..

पूरब हो पश्चिम  उत्तर हो दक्षिण   तू हर जगह मुस्कुराये
जितना ही जाऊ मैं दूर तुझ से, उतनी ही तू पास आये
आंधी ने रोका, पानी ने टोका, दुनिया ने हसकर पुकारा
तसवीर तेरी लेकिन लिए मैं, कर आया सब से किनारा
बादल बिजली चन्दन पानी, जैसा अपना प्यार.. ..

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